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Saturday, 28 March 2020
Sunday, 17 March 2019
Reality Of Country India
भारत का काला कृति से सबसे पुराना नाता है।
कला सबसे पहला अविष्कार है जो इस देश में ही सबसे पहले फला फूला तब यह देश सभी देशों का हर यारह से मार्ग दर्शन करता था, इसलिए इस देश को विश्व गुरु कहा गया ।
लेकिन यह सब उस अंग्रेज को नहीं सुहाया उसने सोचा की यह सब तो चमत्कार से कम नहीं है जो यहाँ है वो कही नहीं देखने को भी मिलता है, यह सब तो हमारे पास होना चाहिए, ऐसा तो हमारे देश को होना चाहिए। उसकी इसी जलन का शिकार हमारे देश को होना पड़ा।
ये हमारे देश का इतिहास रहा था कि उसने कभी अपनी सुरक्षा का ध्यान नही रखा था, यह सभी से
Friday, 1 February 2019
That's Why Problem Exists in India
बहुत लोगो के मन में आता होगा की हम और हमारा देश ऐसा क्यों है, मतलब हमारी और हमारे देश की हालात इतनी ख़राब क्यों है।
में इसके बारे में बता सकता हूँ अगर आप सुनने और समझने के लिए तैयार हो,
भारत मे अंग्रेजों का आगमन को एक नये युग का सूत्रपात माना जा सकता है। सन् 1600 ई. में कुछ अंग्रेज व्यापारियों ने इंग्लैण्ड की महारानी एलिजाबेथ से, भारत से व्यापार करने की अनुमति ली। इसके लिए उन्होंने ईस्ट इण्डिया कम्पनी नामक एक कम्पनी बनाई। उस समय तक पुर्तगाली यात्रियों ने भारत की यात्रा का समुद्री मार्ग खोज निकाला था। उस मार्ग की जानकारी लेकर तथा व्यापार की तैयारी करके, इंग्लैण्ड से सन् 1608 में ‘हेक्टर’ नामक एक ज़हाज़ भारत के लिए रवाना हुआ। इस ज़हाज़ के कैप्टन का नाम हॉकिंस था। हेक्टर नामक ज़हाज़ सूरत के बन्दरगाह पर आकर रुका। उस समय सूरत भारत का एक प्रमुख व्यापारिक केन्द्र था।
भारत में आकर अंग्रेजो ने जो दृश्य देखा उससे देखकर वे बोखला उठे उन्हें कुछ भी समझ में नही आ रहा था वे देखकर जलने मरने लगे की भारत लोग बहुत ही खुश और संपन्न है। यहाँ किसी चीज़ की
कोई कमी नही थी, यहाँ लोग अपनी साधरण सी झोपड़ी में भी अनमोल धातु सोना बोरी में भरकर अपने घरों में बिना दरवाजे सुरक्षा की परवाह किये बिना रहते है। ऐसा नजारा उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। यहाँ के लोग कीमती धातुओं से बने बर्तन इस्तेमाल करते है जो की दुर्लभ वस्तुये मानी जाती थी उनके लिए, जैसे :- सोना, चांदी, पीतल, ताम्बा, कासा और मिटटी के बर्तन ।
यह सब उसके लिए आश्चर्य जनक था उसके लिए।
वहां की औरतें बहुत ही सुन्दर सोने और चांदी की तारो से बनी हुई सारी पहेने हुई थी। और खाने पीने की तमाम सुविधाये यहाँ उपलब्ध थी, जैसे :- गाय का दूध और उससे बने मट्ठा, घी, मक्खन, दही।
गुड़, सेंधा नमक, विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक मसाले।
सहद, ताजे विभिन्न प्रकार के फल तथा सब्जिया ।
उनके द्वारा आतिथ्य आदर सम्मान जो बेमिसाल था।
वे सब प्रकृति के इतना करीब थे की अंतर मालूम ही नहीं होता था ।
सभी लोग खेती बड़ी से लेकर शस्त्र विद्या, निर्त्य, गायन, भूगोल विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, रसायन विज्ञान से परिपूर्ण थे ।
उनमे आत्मविश्वास जैसे कभी न भुझने वाली लौ के सामान हमेशा ही जगमगाता रहता और डर का किसी प्रकार का कोई नमो निशान नहीं था।
उस समय का भारत हर चीज़ से लबालब हर चीज़ की गंगा सामान था, इसलिए इसे सोने की चिड़िया और दूध की गंगा का देश भी खा जाता था।
यहाँ सभी प्रकार के जानवरो और पशुओ से काम लिया जाता था, और सभी प्रकार के कीट पतंगे मिलकर प्रकृति के चक्र में सहायक ही थे।
यह एक हरियाली पसंद देश था जो सब देश में पाया जाता था वह अकेले इस देश में मिलता था।
जो इससे पहले कभी किसी अंग्रेज ने नहीं देखी थी।
में इसके बारे में बता सकता हूँ अगर आप सुनने और समझने के लिए तैयार हो,
भारत मे अंग्रेजों का आगमन को एक नये युग का सूत्रपात माना जा सकता है। सन् 1600 ई. में कुछ अंग्रेज व्यापारियों ने इंग्लैण्ड की महारानी एलिजाबेथ से, भारत से व्यापार करने की अनुमति ली। इसके लिए उन्होंने ईस्ट इण्डिया कम्पनी नामक एक कम्पनी बनाई। उस समय तक पुर्तगाली यात्रियों ने भारत की यात्रा का समुद्री मार्ग खोज निकाला था। उस मार्ग की जानकारी लेकर तथा व्यापार की तैयारी करके, इंग्लैण्ड से सन् 1608 में ‘हेक्टर’ नामक एक ज़हाज़ भारत के लिए रवाना हुआ। इस ज़हाज़ के कैप्टन का नाम हॉकिंस था। हेक्टर नामक ज़हाज़ सूरत के बन्दरगाह पर आकर रुका। उस समय सूरत भारत का एक प्रमुख व्यापारिक केन्द्र था।
भारत में आकर अंग्रेजो ने जो दृश्य देखा उससे देखकर वे बोखला उठे उन्हें कुछ भी समझ में नही आ रहा था वे देखकर जलने मरने लगे की भारत लोग बहुत ही खुश और संपन्न है। यहाँ किसी चीज़ की
कोई कमी नही थी, यहाँ लोग अपनी साधरण सी झोपड़ी में भी अनमोल धातु सोना बोरी में भरकर अपने घरों में बिना दरवाजे सुरक्षा की परवाह किये बिना रहते है। ऐसा नजारा उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। यहाँ के लोग कीमती धातुओं से बने बर्तन इस्तेमाल करते है जो की दुर्लभ वस्तुये मानी जाती थी उनके लिए, जैसे :- सोना, चांदी, पीतल, ताम्बा, कासा और मिटटी के बर्तन ।
यह सब उसके लिए आश्चर्य जनक था उसके लिए।
वहां की औरतें बहुत ही सुन्दर सोने और चांदी की तारो से बनी हुई सारी पहेने हुई थी। और खाने पीने की तमाम सुविधाये यहाँ उपलब्ध थी, जैसे :- गाय का दूध और उससे बने मट्ठा, घी, मक्खन, दही।
गुड़, सेंधा नमक, विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक मसाले।
सहद, ताजे विभिन्न प्रकार के फल तथा सब्जिया ।
उनके द्वारा आतिथ्य आदर सम्मान जो बेमिसाल था।
वे सब प्रकृति के इतना करीब थे की अंतर मालूम ही नहीं होता था ।
सभी लोग खेती बड़ी से लेकर शस्त्र विद्या, निर्त्य, गायन, भूगोल विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, रसायन विज्ञान से परिपूर्ण थे ।
उनमे आत्मविश्वास जैसे कभी न भुझने वाली लौ के सामान हमेशा ही जगमगाता रहता और डर का किसी प्रकार का कोई नमो निशान नहीं था।
उस समय का भारत हर चीज़ से लबालब हर चीज़ की गंगा सामान था, इसलिए इसे सोने की चिड़िया और दूध की गंगा का देश भी खा जाता था।
यहाँ सभी प्रकार के जानवरो और पशुओ से काम लिया जाता था, और सभी प्रकार के कीट पतंगे मिलकर प्रकृति के चक्र में सहायक ही थे।
यह एक हरियाली पसंद देश था जो सब देश में पाया जाता था वह अकेले इस देश में मिलता था।
सब देशो के मौसम एक इस हमारे देश में पाया जाता है।
जो इससे पहले कभी किसी अंग्रेज ने नहीं देखी थी।
Wednesday, 30 January 2019
This is also identity of my bharat country
भारत कभी किसी कॉम या मजहब का दुश्मन नहीं रहा है, भारत हमेशा गलत और बुरे मंसूबो के खिलाफ रहा है ये हर जाती हर कॉम में होते है। जैसे अमीर और गरीब किसी एक जाती में नहीं बल्कि सब जातियो में सामान रूप से पाये जाते है उसी प्रकार देश के गद्दार हर जाती कॉम में पाए जाते है इन्हें हमारे बीच से ही उखाड़ फेकना होगा जबतक की बहुत देर न हो जाये।
ना इंसान बुरा है ना फरिश्ता बुरा है न शैतान इंसबके दुवारा बुराई के लिए किया गया हर काम बुरा है।
अगर शैतान बनना आसान है, तो इंसान या भगवान् बनना इतना भी मुश्किल नही ये मेरा वादा है।
ना इंसान बुरा है ना फरिश्ता बुरा है न शैतान इंसबके दुवारा बुराई के लिए किया गया हर काम बुरा है।
अगर शैतान बनना आसान है, तो इंसान या भगवान् बनना इतना भी मुश्किल नही ये मेरा वादा है।
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